- अमृता
मैंने एक खिलते हुआ फूल की तरह उसे हंसते हुए देखा है|
मुरझाई कलि की तरह रोते हुए उसकी सिसकियों के पीछे के दर्द को महससू किया है||
फिर भी मैं उसकी माँ नहीं -
मैंने उसकी कल्पनाओ से भरी दुनिया को भी देखा है|
उसके जिद और गुस्से के पीछे की वजह को जानकर समझाया भी है||
फिर भी मैं उसका पिता नहीं -
हमने ढेर सारे घटं बैठकर दुनिया भर की बाते की है|
अपनी एक काल्पनिक दुनिया भी बनाई,जो हमें चाहिये||
फिर भी में उसकी दोस्त नहीं -
मैंने ही उसे हंसाया है, मैंनै ही उसे खिलाया भी है|
उसके दुखी होने पर रोने के लिए अपना कंधा भी मैंने दिया है||
फिर भी मैं उसकी भाई नहीं -
मैंने उसके साथ ढेर सारी मस्ती भी की है|
मैंने ही उसकी घबराहट वाला वो लाल टमाटर सा चेहरा भी देखा है||
फिर भी मैं उसकी बहन नहीं -
मैं उसकी Teacher हूं, हां मैं उसकी टीचर ही हूं |
एक एसी टीचर जो, उसको पढ़ाती भी है और
पढ़ती भी है, एक एसी टीचर जो उसको सनु ती
भी और समझती भी है, टीचर जो वो सपने
देखती है, जो अभी उसने भी देखे नहीं |
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